15,000 रुपये तनख्वाह और 20 कर्मचारियों की लिमिट या बाध्यता को खत्म करने के लिए इंप्लॉइज प्रोविडेंट फंड एंड मिसलेनियस प्रोविजन एक्ट, 1952 में सुधार करना होगा. इस बदलाव के बाद स्वरोजगार वाले भी ईपीएफओ स्कीम से जुड़ सकेंगे.
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी कि ईपीएफओ एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर काम कर रहा है. ईपीएफओ तनख्वाह और कंपनी में कर्मचारियों की लिमिट को खत्म करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. यह प्रस्ताव सभी तरह के फॉर्मल वर्कर और स्वरोजगार वाले लोगों के लिए लागू करने पर विचार किया जा रहा है. इसका अर्थ हुआ कि जिन लोगों की तनख्वाह 15,000 रुपये से कम है और जिस कंपनी में 20 कर्मचारी नहीं भी हैं, उन्हें ईपीएफओ की रिटायरमेंट स्कीम में शामिल किया जा सकता है.
इस नए प्रस्ताव को अमल लाने के लिए ईपीएफओ अलग-अलग पक्षों से बात कर रहा है और राज्यों तक भी अपनी बात पहुंचाई गई है. मौजूदा समय में जिन लोगों की सैलरी 15,000 रुपये है, वे ही ईपीएफओ स्कीम का फायदा ले सकते हैं. साथ ही, जिस कंपनी में कम से कम 20 कर्मचारी हैं, वे ही ईपीएफओ स्कीम से अपने कर्मचारियों को जोड़ सकते हैं. 15,000 रुपये तनख्वाह और 20 कर्मचारियों की लिमिट या बाध्यता को खत्म करने के लिए इंप्लॉइज प्रोविडेंट फंड एंड मिसलेनियस प्रोविजन एक्ट, 1952 में सुधार करना होगा. इस बदलाव के बाद स्वरोजगार वाले भी ईपीएफओ स्कीम से जुड़ सकेंगे.
एक बार ईपीएफओ के नियम में यह सुधार हो जाए तो तनख्वाह और कर्मचारी की अनिवार्य संख्या का रूल खत्म हो जाएगा. फिर किसी भी इनकम या सैलरी और कितनी भी संख्या वाली कंपनी ईपीएफओ से जुड़ सकेगी. अभी ईपीएफओ की रिटायरमेंट स्कीम का लाभ वैसे ही कर्मचारी या वर्कर को मिलता है जिनकी सैलरी 15,000 रुपये से अधिक है. ईपीएफओ अपने मेंबर को प्रोविडेंट फंड, पेंशन और इंश्योरेंस की सुविधा देता है. ये सुविधाएं ईपीएफ, इंप्लॉई पेंशन स्कीम और इंप्लॉई डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम के अंतर्गत दी जाती हैं.
दूसरी ओर, एक समिति ने ईपीएफ की सैलरी लिमिट को 15,000 रुपये से बढ़ाकर 21,000 रुपये तक ले जाने का सुझाव दिया है. मौजूदा नियम के मुताबिक, ईपीएफओ से वही कर्मचारी जुड़ सकता है जिसकी सैलरी 15,000 रुपये तक हो. नियम कहता है कि 15,000 रुपये मासिक वेतन वाले कर्मचारी को कंपनी की तरफ से ईपीएफ स्कीम का लाभ देना जरूरी है. समिति की सिफारिश मान ली जाए तो सैलरी की लिमिट 21,000 रुपये हो सकती है. इससे पहले 2014 में सैलरी की लिमिट बढ़ाई गई थी. ईपीएफ की स्थापना साल 1952 में की गई और 2014 में अंतिम बार 9वीं बढ़ोतरी की गई थी.
ईपीएफ में जमा होने वाला पैसा रिटायरमेंट की सुविधाओं के लिए होता है. लेकिन विपरीत परिस्थितियों में या कुछ शर्तों के अधीन पीएफ से पैसे निकाले जा सकते हैं. कोरोना काल में सरकार ने पीएफ से एडवांस पैसे निकालने की अनुमति दी थी. 21,000 रुपये की लिमिट तय होते ही देश के तकरीबन 75 लाख कर्मचारी पीएफ के दायरे में आ जाएंगे. अभी ईपीएफ का लाभ 6.80 करोड़ लोगों को दिया जाता है. लेकिन ईपीएफओ अगर सैलरी लिमिट का नियम खत्म कर दे तो फॉर्मल सेक्टर में काम करने वाले और स्वरोजगार करने वाले लोग भी लाभान्वित होंगे. ईपीएफ के तहत कर्मचारियों को प्रोविडेंट फंड, पेंशन और इंश्योरेंस स्कीम का लाभ दिया जाता है.